House Rent Rules : घर किराए पर देने से पहले मकान मालिक जरूर करें ये काम – नहीं तो कोर्ट के चक्कर लगेंगे!

House Rent Rules (मकान किराया नियम) :  अगर आप भी मकान को किराए पर देने की सोच रहे हैं, तो रुकिए! सिर्फ किरायेदार को चाबी थमाना ही काफी नहीं होता। मकान मालिकों को कई कानूनी और व्यवहारिक बातों का ध्यान रखना होता है वरना बाद में यही लापरवाही कोर्ट-कचहरी तक ले जा सकती है। कई मामलों में किरायेदार ने न किराया दिया, न ही घर खाली किया और मकान मालिक को वर्षों तक कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ा। ऐसे में जरूरी है कि आप सही जानकारी और तैयारी के साथ किराए पर घर दें।

House Rent Rules बनवाना है सबसे पहली ज़रूरत

  • लिखित एग्रीमेंट यानी किरायानामा जरूरी है।
  • उसमें किराया, जमा राशि, बिजली-पानी के बिल की जिम्मेदारी, और किराए की अवधि जैसी बातें स्पष्ट होनी चाहिए।
  • दोनों पक्षों के हस्ताक्षर होने चाहिए और दो गवाहों के भी।
  • कम से कम 11 महीने का एग्रीमेंट रखें, ताकि आपको रेंट कंट्रोल एक्ट से छूट मिले।

वास्तविक जीवन का उदाहरण: मुंबई के रमेश यादव ने बिना एग्रीमेंट के मकान किराए पर दिया था। किरायेदार ने एक साल बाद किराया देना बंद कर दिया और घर खाली करने से भी इनकार कर दिया। मामला कोर्ट गया और 3 साल तक रमेश को चक्कर काटने पड़े।

किरायेदार की पुलिस वेरिफिकेशन कराना जरूरी

  • मकान देने से पहले किरायेदार की पुलिस वेरिफिकेशन कराएं।
  • इसके लिए नजदीकी पुलिस स्टेशन में एक फॉर्म भरकर जमा करें।
  • किरायेदार की पहचान पत्र की कॉपी भी साथ लगाएं।
  • पुलिस वेरिफिकेशन ना कराने पर अगर कोई आपराधिक गतिविधि होती है, तो मकान मालिक भी जिम्मेदार माना जा सकता है।

महत्वपूर्ण: दिल्ली हाईकोर्ट ने एक मामले में कहा था कि पुलिस वेरिफिकेशन न कराना लापरवाही की श्रेणी में आता है और इससे कानूनन परेशानी हो सकती है।

किरायेदार से सिक्योरिटी डिपॉजिट लें

  • सिक्योरिटी डिपॉजिट किरायेदार से लेने की व्यवस्था करें, यह आमतौर पर 2 से 3 महीने के किराए के बराबर होता है।
  • इससे आपको नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी अगर वह बिना बताए निकल जाए या संपत्ति को नुकसान पहुंचाए।
  • इस राशि का उल्लेख भी किरायानामा में करें।

किराया और अन्य भुगतान बैंक ट्रांसफर से लें

  • सभी लेनदेन डिजिटल माध्यम से करें – जैसे NEFT, UPI या बैंक ट्रांसफर।
  • इससे आपको लेखा-जोखा रखने में आसानी होगी और भविष्य में विवाद की स्थिति में प्रमाण भी रहेगा।
  • नकद भुगतान से परहेज करें, क्योंकि बाद में इनकार की संभावना रहती है।

मकान का फिजिकल निरीक्षण करते रहें

  • हर 2-3 महीने में एक बार मकान का निरीक्षण जरूर करें।
  • किरायेदार को पहले से सूचित करके जाएं।
  • इससे आप सुनिश्चित कर सकते हैं कि घर की स्थिति ठीक है और कोई अवैध गतिविधि नहीं हो रही।

किराया न देने पर क्या हैं विकल्प?

स्थिति मकान मालिक क्या कर सकता है?
किराया 1-2 महीने तक नहीं आया याद दिलाने के लिए नोटिस भेजें
3 महीने तक नहीं आया लिखित रूप से नोटिस और किरायानामा अनुसार कार्रवाई
6 महीने से ज्यादा समय हो गया कोर्ट में वाद दायर करें
किरायेदार खाली नहीं कर रहा कोर्ट से निष्कासन आदेश प्राप्त करें

मकान मालिकों की आम गलतियां

  • बिना लिखित अनुबंध के घर देना।
  • पुलिस वेरिफिकेशन न कराना।
  • किरायेदार से कोई दस्तावेज न लेना।
  • किराया नकद में लेना।
  • बार-बार मकान की स्थिति न देखना।

मेरी निजी सलाह (व्यक्तिगत अनुभव से)

मैंने खुद अपने एक फ्लैट को किराए पर दिया था, शुरू में सिर्फ मौखिक सहमति पर। कुछ महीनों तक तो सब ठीक चला, लेकिन बाद में किरायेदार ने समय से किराया देना बंद कर दिया और बहाने बनाने लगा। उसके बाद मैंने किरायानामा बनवाया, पुलिस वेरिफिकेशन कराया और नया किरायेदार रखा। तब से अब तक कोई परेशानी नहीं आई। इस अनुभव से मैंने सीखा कि थोड़ी सी सतर्कता आपको बड़ी परेशानी से बचा सकती है।

मकान किराए पर देना आम बात है लेकिन यह तभी फायदेमंद है जब सही प्रक्रिया अपनाई जाए। लिखित एग्रीमेंट, पुलिस वेरिफिकेशन, डिजिटल पेमेंट और नियमित निगरानी जैसे कदम आपको कानूनी पचड़े से बचा सकते हैं। मकान मालिक के तौर पर आपकी थोड़ी सी सावधानी, लंबे समय में आपको मानसिक और आर्थिक रूप से सुरक्षित रख सकती है।

किराएदार किस वजह से किराए में वृद्धि कर सकते हैं?

भूमि का मूल्य बढ़ने से।

किराये पर घर लेने से पहले किस तरह की जानकारी चाहिए?

किराया, सुरक्षा जमा, समझौता, और इलाके की सुरक्षा।

किराये पर देने से पहले कौन सी जानकारी देनी चाहिए?

नियमित रुटीन चेक और किराये के नियमों का पालन।

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