Property Law (संपत्ति कानून) : परिवार में पैतृक संपत्ति को लेकर अक्सर विवाद देखने को मिलते हैं। कई बार ऐसे सवाल उठते हैं कि क्या पिता अपने नाम की पैतृक संपत्ति को बिना बच्चों की अनुमति के बेच सकते हैं या नहीं? खासकर जब संपत्ति पुश्तैनी हो और उस पर कई वारिस हों। ऐसे में नए प्रॉपर्टी कानून और कोर्ट के फैसलों को जानना बेहद जरूरी है ताकि कोई भी गलती ना हो और कानूनी पचड़े से बचा जा सके।
Property Law : क्या होती है?
- पैतृक संपत्ति वो होती है जो चार पीढ़ियों से चली आ रही हो – मतलब कि दादा, पिता, पुत्र और पुत्र का पुत्र।
- ये संपत्ति बिना किसी वसीयत के अगली पीढ़ी को ट्रांसफर होती है।
- इसे अंग्रेजी में ‘Ancestral Property’ कहा जाता है।
संपत्ति कानून : क्या पिता पैतृक संपत्ति बेच सकते हैं?
भारतीय कानून के अनुसार, अगर संपत्ति “पैतृक” है तो पिता या कोई भी सदस्य उसे अपनी मर्जी से नहीं बेच सकता। इसके लिए सभी सहवारिसों की सहमति जरूरी होती है। अगर वह ऐसा करते हैं तो बच्चे कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं और उस सौदे को रद्द भी कराया जा सकता है।
किन स्थितियों में परमिशन जरूरी होती है:
- अगर संपत्ति पैतृक है और उस पर बेटे-बेटियों का अधिकार है।
- अगर संपत्ति पर पहले से कोई केस या क्लेम चल रहा हो।
- अगर पिता उस संपत्ति को व्यक्तिगत कारणों से बेचना चाहते हैं।
नया प्रॉपर्टी कानून क्या कहता है?
सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट्स ने समय-समय पर इस विषय पर अहम फैसले दिए हैं:
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2020: पैतृक संपत्ति पर बेटियों का भी उतना ही अधिकार है जितना बेटों का। यह अधिकार जन्म से ही मिल जाता है, शादी के बाद भी खत्म नहीं होता।
- हाईकोर्ट निर्णय: अगर कोई संपत्ति पैतृक है तो उसका कोई भी हिस्सा तब तक नहीं बेचा जा सकता जब तक सभी उत्तराधिकारी सहमत न हों।
किसकी अनुमति जरूरी होती है?
उत्तराधिकारी | अनुमति जरूरी या नहीं | स्थिति का विवरण |
---|---|---|
पुत्र (बेटे) | हां | जन्म से अधिकार होता है |
पुत्री (बेटी) | हां | 2005 के बाद बेटियों को भी बराबर अधिकार |
पत्नी | नहीं | व्यक्तिगत संपत्ति में हिस्सा नहीं, अगर पैतृक न हो |
पोते-पोतियां | हां (यदि पिता नहीं हैं) | पिता के हिस्से के उत्तराधिकारी के रूप में |
भाई-बहन | कुछ मामलों में | अगर संयुक्त परिवार है |
अगर किसी की सहमति न मिले तो क्या करें?
- आपसी बातचीत से हल निकालने की कोशिश करें।
- जरूरत पड़ने पर फैमिली सेटलमेंट डीड बनवाएं।
- अगर फिर भी सहमति न हो, तो सिविल कोर्ट में केस फाइल किया जा सकता है।
- कोर्ट आवश्यक स्थिति में संपत्ति की बिक्री पर रोक (Stay) भी लगा सकता है।
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जीवन से जुड़ा उदाहरण
राजस्थान के श्री गणेश शर्मा ने एक केस में कोर्ट से राहत पाई जब उनके पिता ने पैतृक जमीन को बेचने का फैसला किया। गणेश ने कोर्ट में यह तर्क दिया कि वो भी उस जमीन के उत्तराधिकारी हैं और उन्हें बिना जानकारी या सहमति के यह सौदा अमान्य है। कोर्ट ने बिक्री पर रोक लगाई और उनके अधिकार को मान्यता दी।
क्या बेटियां भी रोक सकती हैं संपत्ति की बिक्री?
बिलकुल हां। 2005 में हुए हिंदू उत्तराधिकार कानून में बदलाव के बाद बेटियों को भी समान अधिकार मिला है। अब बेटियां भी अपने हिस्से की मांग कर सकती हैं और अगर उनके हिस्से की बिना अनुमति संपत्ति बेची जा रही है, तो वह कोर्ट में जाकर उसे चुनौती दे सकती हैं।
वसीयत बनवाने से क्या फर्क पड़ता है?
- अगर संपत्ति पैतृक नहीं है और मालिक ने वसीयत बना दी है, तो वह अपनी मर्जी से किसी को भी हक दे सकता है।
- लेकिन अगर संपत्ति पैतृक है, तो वसीयत से भी बाकी उत्तराधिकारियों का अधिकार खत्म नहीं होता।
संपत्ति बेचने से पहले क्या करें?
- संपत्ति की प्रकृति को अच्छे से समझें – क्या वह पैतृक है या स्व-खरीदी गई?
- सभी वारिसों को जानकारी दें और उनकी सहमति लिखित में लें।
- सभी जरूरी दस्तावेज पूरे करें, जैसे खसरा नंबर, रजिस्ट्री रिकॉर्ड, नक्शा आदि।
- किसी वकील की राय लें ताकि भविष्य में कोई कानूनी परेशानी न हो।
पैतृक संपत्ति का मामला भावनात्मक और कानूनी दोनों ही स्तर पर काफी संवेदनशील होता है। अगर आप या आपके परिवार में कोई सदस्य पैतृक संपत्ति को बेचना चाहता है, तो पहले यह सुनिश्चित कर लें कि सभी उत्तराधिकारी सहमत हैं। वरना मामला कोर्ट तक जा सकता है और बिक्री रद्द भी हो सकती है। हमेशा सही दस्तावेज, वकील की सलाह और पारिवारिक सहमति के साथ ही कदम बढ़ाएं।
क्या पति के अब बिना पत्नी की सहमति के पैतृक संपत्ति बेच सकता है?
नहीं, पति को पत्नी की सहमति की आवश्यकता होती है।
क्या एक अपातकालीन स्थिति में पैतृक संपत्ति बेची जा सकती है?
हां, अगर अत्यावश्यक हो और कोई और विकल्प न हो।
क्या पैतृक संपत्ति के बिक्री से विवाद उत्पन्न हो सकता है?
हाँ, यदि संपत्ति का अधिग्रहण गैरकानूनी ढंग से हुआ।